हमें शायर समझ के यूँ नजर अंदाज मत करिये,
नजर हम फेर ले तो हुस्न का बाजार गिर जायेगा।
अगर इश्क करो तो ,
आदाब-ए-वफ़ा भी सीखो,
ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती।
किताब-ए-दिल में भी रखा तो ताज़गी ना गई,
तेरे ख्याल का जलवा गुलाब जैसा है।
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए,
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए।
तेरे ख्याल में जब बेख्याल होता हूँ,
जरा सी देर को ही सही बेमिसाल होता हूँ।
तू हकीकत-ए-इश्क है या कोई फरेब,
ज़िन्दगी में आती नहीं ख़्वाबों से जाती नहीं।
संभल कर किया करो लोगो से बुराई मेरी,
तुम्हारे तमाम अपने मेरे ही मुरीद हैं।
बताओ है कि नहीं मेरे ख्वाब झूठे,
कि जब भी देखा तुझे अपने साथ देखा।
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